- प्रत्येक वर्ष 22 जनवरी को लखनऊ में आयोजित की जाएगी श्री रामकथा – पूज्य श्री Devkinandan Thakur Ji महाराज
- अच्छाइयों को फैला दो और बुराइयों को दफनाना चाहिए – राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जी
Lucknow : अयोध्या में भगवान श्री राम के आगमन के उपलक्ष्य में पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के पावन सानिध्य में भव्य दिव्य श्री राम कथा और श्री सीताराम यज्ञ का दिव्य आयोजन स्थान – डी.ए.वी कॉलेज, ऐशबाग रोड नियर नाका थाना लखनऊ में 24 जनवरी से 1 फरवरी 2024 तक किया गया। आज कथा में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमति आनंदीबेन पटेल जी पधारीं और पूज्य महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त कर कथा का श्रवण किया।
कथा के मुख्य यजमान उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक जी, डी.ए.वी कॉलेज प्रबंधक श्री मनमोहन तिवारी जी एवं प्रमुख यजमान – श्री सर्वेश पाण्डेय जी, श्री मुरलीधर आहूजा जी, श्री अंशु गुप्ता जी, श्री अरविन्द सिंह जी, श्री सुरेश मिश्रा जी, श्री नितिन गुप्ता जी पधारे एवं आरती पूजन किया। श्री राम कथा के समापन दिवस की शुरुआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज जी ने भक्तों को ” तेरे नाम की ओढ़ चुनरिया, मैं तो नाचू बीच बाजार में” भजन का श्रवण कराया।
श्री राम कलयुग के मनुष्य का कल्याण करने के लिए फिर से प्रकट
प्रभु श्री राम कलयुग के मनुष्य का कल्याण करने के लिए फिर से राम मंदिर के रूप में प्रकट हुए हैं। भगवान के कार्य में जुड़ना उनकी सेना में शामिल होने के समान है। भगवान से की गयी प्रार्थना कभी भी निष्फल नहीं जाती। भगवान के पास सब कुछ है इसलिए कोई भी भगवान को आशीर्वाद नहीं दे सकता क्योंकि भगवान अपने भक्तों की नहीं बल्कि उनकी वाणी की भी रक्षा करते हैं।
जब इंसान को मृत्यु आनी ही है तो मानव को राम का होकर मरना चाहिए। जो इस देश में श्री राम को गाली देगा वह सम्मान के लायक नहीं है। हमें अपने सनातन को आगे बढ़ाना चाहिए ना की बल्कि राम के विरोध करने वालों को क्योंकि जो राम का नहीं वो किसी काम का नहीं और जो राम का है वही काम का है। माया मनुष्य से श्री राम का विरोध कराती है । मनुष्य को सेवा सबकी करनी चाहिए लेकिन धर्म केवल अपना स्वीकार करना चाहिए।
आज के समय में रावण की कोई ज़रुरत नहीं
आज के समय में रावण की कोई ज़रुरत नहीं है क्योंकि इंटरनेट में आज कोई भी अपनी लाज नहीं बचा रहा है और इंटरनेट की वजह से ना जाने हमारा भारत कहा जा रहा है। सीता माँ की लाज के लिए जटायु रावण से भीड़ गया था और अपने प्राण तक त्याग दिए थे। लेकिन आज के समय में मनुष्य बस खड़ा होकर तमाशा देख रहा होता है। गुरु के वचनों पर विश्वास , ग्रन्थ वेद ,पुराण और अपने माता-पिता के वचनों पर विश्वास मनुष्य को है तो कोई सफलता उनसे दूर नहीं है। अधर्म पर चलने वाले लोगों को कोई आशीर्वाद नहीं देता है। जो सच्चाई और धर्म के रास्ते पर चलते हैं उनके लिए सदा आशीर्वाद निकलता है। मनुष्य को शास्त्रों के अनुसार कर्म करने पर ही फल मिलेगा।