- उद्योगों को मिली रफ्तार, निवेश की बही बयार
- सात साल में बदली यूपी की कार्य संस्कृति, बदल गये प्रदेश के हालात
- उद्योगों के लिए बनाई गई 25 से ज्यादा सेक्टोरियल पॉलिसी ने निवेशकों को किया प्रोत्साहित
- 46 हजार एकड़ लैंडबैंक और एफडीआई के लिए अलग पॉलिसी सरकार की बड़ी उपलब्धि
- 41 विभागों की 481 लाइसेंस सेवाओं के लिए सिंगल विंडो सिस्टम ने उद्योग जगत की बदली राय
- 4500 से अधिक कंप्लायंसेज का न्यूनिकरण, 577 से अधिक कंप्लायंस को किय गया खत्म
LUCKNOW : सात-आठ साल पहले कोई यकीन भी नहीं कर सकता था कि यूपी एक दिन ‘बीमारू प्रदेश’ की तोहमत से बाहर आकर ‘उद्योग प्रदेश’ बनने के करीब पहुंच जाएगा। आज विकास के नित नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा उत्तर प्रदेश हर सेक्टर में बुलंदियों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। फिर चाहे बात इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की हो, यातायात कनेक्टिविटी की हो, विद्युत व्यवस्था, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य या शिक्षा। 10 लाख से अधिक आबादी वाले सात शहर और 5 लाख से अधिक आबादी वाले पांच शहरों वाला बड़ा राज्य यूपी की 56 प्रतिशत आबादी कामकाजी है। प्रदेश न केवल 250 मिलियन की आबादी वाला राज्य है बल्कि 425 मिलियन के आस पड़ोस के राज्यों की जनसंख्या के साथ विशाल कंज्यूमर बेस भी रखता है। यही कारण है कि इतना विशाल उपभोक्त बाजार निवेशकों को हर तरह से आकर्षित कर रहा है।
बेहतरीन कनेक्टिविटी ने उद्योगी की राह को किया आसान
विश्व स्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में उत्तर प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य में विकसित हो रही वायु, सड़क, जल एवं रेल नेटवर्क की कनेक्टिविटी से प्रदेश के उद्योगों में मैन्युफैक्चरिंग इकाईयों को अपने माल के परिवहन में सुविधा उपलब्ध हो रही है, जिससे प्रदेश का निर्यात भी बढ़ रहा है। इसके अलावा महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के बाद प्रदेश में चार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे क्रियाशील हो चुके हैं जल्द ही नोएडा के जेवर में दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी प्रारंभ होने वाला है। इसके बाद यूपी पांच अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों वाला भारत का एकमात्र राज्य बन जाएगा। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैकिंग एवं विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक्स की सुलभता (लीड्स 2023) रैंकिंग में भी यूपी ने अचीवर्स की श्रेणी प्राप्त की है।
प्रदेश सरकार ने स्थापित कर दिया मील का पत्थर
बीते सात साल में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ और पटरी पर लाने के लिए पहले दिन से ही मिशन मोड में कार्य शुरू हुए। इसके साथ ही प्रदेश के नौजवानों को हर हाल में रोजगार से जोड़ने की सरकार की मुहिम ने भी बड़े स्तर पर उद्योगों को स्थापित करने की राह दिखाई। प्रदेश में 25 से ज्यादा सेक्टोरियल पॉलिसी, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने के लिए अलग से पॉलिसी, प्रदेश में एक्सप्रेसवे का तेजी से विकास और इनके किनारे पर 46 हजार एकड़ का लैंड बैंक बनाकर राज्य सरकार ने मील का पत्थर स्थापित कर दिया।
97 प्रतिशत डिस्पोजल रेट से निस्तारित हुए अप्लीकेशन्स
उद्योगों के लिए बेहतर वातावरण बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने न केवल 41 विभागों के 481 लाइसेंस सेवाओं को सिंगल विंडो सिस्टम के तहत ला दिया है, बल्कि 13 लाख से अधिक लाइसेंस अप्लीकेशन्स को भी 97 प्रतिशत डिस्पोजल रेट से निस्तारित करके नया रिकॉर्ड कायम किया है। यही नहीं बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान (बीएआरपी) के अंतर्गत एक हजार से अधिक यूनिक रिफॉर्म भी पहली बार संभव हो सका है। इसके अलावा 200 से अधिक सेवाओं में तय समय में एनओसी प्रदान करने की व्यवस्था हो या लगभग 4500 से अधिक कंप्लायंसेज का न्यूनिकरण अथवा 577 से अधिक कंप्लायंसेज को समाप्त किया जाना हो, प्रदेश सरकार ने उद्योगों की राह में आने वाले एक एक रोड़े को दुरुस्त कराते हुए प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का माहौल स्थापित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
पॉलिसी बेस्ड गवर्नेंस ने बदला परसेप्शन
इसके साथ प्रदेश आज भारत के टॉप 5 मैन्यूफैक्चरिंग स्टेट में शामिल हो चुका है, जिसके पास 86 लाख से अधिक एमएसएमई का विशाल क्लस्टर है, जोकि भारत में किसी भी राज्य की तुलना में सर्वाधिक है। साथ साथ ही की इकोनॉमिक जोन और एक्सप्रेसवे एवं कॉरीडोर्स के पास योगी सरकार ने 46 हजार एकड़ से अधिक लैंडबैंक तैयार करके बड़े औद्योगिक अवसरों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है। यही नहीं आज देश और दुनिया के उद्योग जगत के सामने योगी सरकार की छवि पॉलिसी बेस्ड गवर्नेंस की बन चुकी है, जिसके पास उद्योगों के लिए 25 से अधिक सेक्टोरियल पॉलिसी हैं, साथ ही साथ प्रत्यक्ष विदेश निवेश के लिए भी अलग से नीति भी सरकार की बड़ी उपलब्धियों में शुमार है।
बिजनेस फ्रेंडली स्टेट के रूप में विकसित हुआ है यूपी
बता दें कि बीते फरवरी माह में एक ही दिन में 10 लाख 24 हजार करोड़ रुपए के निवेश को विभिन्न उद्योगों के जरिए धरातल पर उतारा गया है, जो प्रदेश कभी उद्यमियों के मन में खौफ पैदा कर देता था आज वह बिजनेस फ्रेंडली स्टेट के रूप में विकसित हो चुका है। हर स्तर पर कार्य संस्कृति में व्यापक बदलाव कर के प्रदेश सरकार ने असंभव से लगने वाले लक्ष्य को भी आखिरकार संभव बना दिया है।