- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी गोवंश आश्रय स्थलों के लिए अधिकारियों को दिये निर्देश
- आवारा गोवंश के संरक्षण के लिए संकल्पित हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
- तहसील और ब्लॉकों पर गोवंश संरक्षण स्थलों के लिए नियुक्त होंगे नोडल अधिकारी
- मुख्यमंत्री का निर्देश, किसी भी हाल में सड़क और खेतों में ना दिखें छुट्टा गोवंश
लखनऊ। प्रदेश के 6 हजार से अधिक गोवंश आश्रय स्थलों पर 24 घंटे केयर टेकर की तैनाती की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया है। गोवंश आश्रय स्थल से जुड़ी शिकायतों के निस्तारण की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी जिलों के डीएम को निर्देशित किया है कि वो खुद आश्रय स्थलों की समीक्षा करें। मुख्यमंत्री ने कहा है कि हर तहसील और ब्लॉक पर इसके लिए नोडल अफसरों की तैनाती की जाए।
प्रदेश में 6874 गोवंश आश्रय स्थल
प्रदेश में 6874 गोवंश आश्रय स्थल बनाए गये हैं, जहां 11 लाख 75 हजार से ज्यादा निराश्रित गोवंश को रखा गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर हाल ही में इनके चारे-पानी के लिए प्रतिदिन की धनराशि में बढ़ोतरी करते हुए इसे प्रति गोवंश 900 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों सहित सभी मुख्य चिकित्साधिकारी और पशु चिकित्साधिकारी को समय समय पर गोवंश आश्रय स्थलों का निरीक्षण करने के लिए निर्देशित किया है।
हर हफ्ते हो गोवंश की काउंटिंग
सीएम योगी ने कहा कि गोवंश आश्रय स्थलों पर 24 घंटे केयर टेकर की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। कम से कम तीन केयर टेकर की व्यवस्था हर अश्रय स्थल पर की जाए। इसके अलावा हर हफ्ते गोवंश की काउंटिंग कराई जाए। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। किसी भी सूरत में कोई भी निराश्रित गोवंश सड़क या खेतों में नहीं दिखना चाहिए। साथ ही पशु चिकित्सक नियमित विजिट करते हुए गोवंश की सेहत की जांच भी करें।
आश्रय स्थलों को स्वावलंबी बनाने के प्रयासों में लाएं तेजी
मुख्यमंत्री ने गोवंश आश्रय स्थलों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में हो रहे प्रयासों में और तेजी लाने के निर्देश दिये हैं। इसके लिए यूपी राज्य जैव ऊर्जा विकास बोर्ड, खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग, एमएसएमई विभाग, स्किल डेवलपमेंट मिशन, ग्राम्य विकास विभाग और उद्यान विभाग के सहयोग से बायोगैर, कम्पोस्ट, बर्मी कम्पोस्ट, पंचगव्य आधारित औषधियों एवं उत्पादों यथा साबुन, अगरबत्ती, मच्छर भगाने की कॉयल, गोनाइल (गोमूत्र से बनी फिनायल), औषधियों आदि के उत्पादन एवं विक्रय की व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया है। इसके अलावा गोबर एवं गोमूत्र आधरित जैविक कृषि एवं बागवानी, कीटनाशक, गोबर से बने गमले, सर्दियों में गोबर के उपलों को अलाव जलाने के काम में लाने के लिए निर्देश दिया है।
मशीनीकरण के कारण कृषि कार्य में अनुपयोगी हुए नर गोवंश
बता दें कि पशुधन संख्या के दृष्टिकोण से यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है। 19वीं पशुगणना के अनुसार प्रदेश में 195.57 लाख गोवंशीय पशु हैं। कृषि कार्य में मशीनीकरण के कारण स्वदेशी गोवंश के नर सदस्यों का उपयोग अब कृषि कार्य में किये जाने की परिपाटी प्रदेश से लगभग समाप्त हो गई है। इसके कारण गोवंशीय नर पूरी तरह अनुपयोगी हो चुके हैं। इससे इनके अनियंत्रित प्रजनन द्वारा अनुपयोगी और कम उत्पादकता के गोवंश की उत्पत्ति हो रही है, जिससे निराश्रित पशुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। इसे देखते हुए योगी सरकार ने प्रदेश के सभी ग्रामीण व शहरी स्थानीय निकायों, जिसमें ग्राम पंचायत, क्षेत्र प्रयायत, जिला पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगमों में निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों की स्थापना की है। निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों की निगरानी के लिए प्रदेश, मंडल, जिला और तहसील स्तर पर अनुश्रवण, मूल्यांकन और समीक्षा समिति पहले से गठित है। इन समितियों के क्रमश: मुख्य सचिव, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी अध्यक्ष हैं।