- 140 करोड़ रुपए से अयोध्या के छह प्रवेश मार्गों पर बनेंगे भव्य प्रवेश द्वार
- अयोध्या को त्रेता काल की रामनगरी का स्वरूप देने में जुटी योगी सरकार
- श्रीराम, हनुमान, लक्ष्मण, भरत, गरुण व जटायु के नाम पर बनाए जाएंगे द्वार
- 67 करोड़ से खरीदी जाएगी जमीन, 73 करोड़ से विकसित की जाएंगी सुविधाएं
- त्रेतायुगीन परिकल्पना के आधार पर भव्य रूप में निर्मित होंगे सभी प्रवेश द्वार
अयोध्या। योगी सरकार श्रीराम की नगरी को प्राचीन अयोध्या का स्वरूप प्रदान करने में जुटी है। जिस प्रकार प्राचीन राजधानियों में प्रवेश द्वार बनाए जाते थे उसी तर्ज पर अयोध्या के सभी प्रवेश मार्गों पर भव्य प्रवेश द्वार बनाए जाने की योजना तैयार की गई है। इसपर लगभग 140 करोड़ रुपये का बजट खर्च किया जाएगा। उद्देश्य है रामनगरी अयोध्या को विश्व की सबसे सुंदर नगरी के रूप में विकसित करना। जनवरी 2024 में भव्य गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। रामलला अपने नए घर में विराजें, इससे पहले अयोध्या में भक्तों के लिए सुविधाएं विकसित करने का काम जोरों पर है। इसी क्रम में अयोध्या के छह प्रवेश मार्गों पर छह प्रवेश द्वार बनाए जाने हैं। ये प्रवेश द्वार रामायण के पात्रों के नाम पर होंगे। ये द्वार ”प्रबिसि नगर कीजे सब काजा…” का संदेश देते दिखेंगे।
एनएचआईए की ओर से तैयार डिजाइन पर निर्माण
सभी प्रवेश द्वारों का निर्माण नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचआईए) की ओर से तैयार डिजाइन पर होगा। इसमें पीडब्लयूडी विभाग सहयोगी बनकर अयोध्या की वास्तुकला को डिजाइन में समावेश करेगा। जमीन खरीद के लिए 67 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है। वहीं इसपर जनसुविधाएं विकसित करने के लिए 73 करोड़ की अलग से व्यवस्था की गई है। शासन से 50 करोड की धनराशि अवमुक्त की जा चुकी है। उप निदेशक पर्यटन आरपी यादव ने बताया कि लखनऊ रोड पर फिरोजपुर, रायबरेली रोड पर सरियावां व अंबेडकरनगर रोड पर राजेपुर के पास, सुल्तानपुर रोड पर मैनुद्दीनपुर प्रवेश द्वार के लिए जमीन अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो चुका है। बस्ती रोड पर इस्माइलपुर व गोंडा रोड पर कटरा भोगचंद के पास जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है। प्रवेश द्वार की चौड़ाई व ऊंचाई एनएचएआई के मानक के अनुसार ही तय की जाएगी। जमीन अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो चुका है अब प्रवेश द्वार को आकार देने का काम भी शुरू किया जाएगा।
भक्तों को रामायण काल की होगी अनुभूति
पर्यटन अधिकारी ने बताया कि हर प्रवेश द्वार के लिए पांच-पांच एकड़ जमीन अधिग्रहीत की जा रही है। यह द्वार त्रेतायुगीन परिकल्पना के आधार पर विकसित होंगे। इन द्वारों से प्रवेश करते ही रामायण काल की अनुभूति भक्तों को हो, ऐसा प्रयास किया जा रहा है। गेट के पास पार्किंग से लेकर जन सुविधाओं का भी इंतजाम होगा। इसके अलावा टॉयलेट और पेयजल की व्यवस्था भी होगी। साथ ही यहां हरियाली विकसित की जाएगी। चार्जिंग प्वॉइंट बनाए जाएंगे। फूड कोर्ट की भी स्थापना करने की तैयारी है।