नई दिल्ली। भारत की विश्व कप टीम में जगह बनाने की दौड़ में शामिल 18 खिलाड़ियों को अलूर में व्यापक फिटनेस और मेडिकल परीक्षण से गुजरना होगा क्योंकि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) इस प्रतिष्ठित आयोजन से पहले कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। हालांकि इनमें से अधिकांश परीक्षण नियमित प्रकृति के होते हैं और समय-समय पर राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) या बीसीसीआई की मेडिकल टीम द्वारा आयोजित किए जाते हैं, लेकिन अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विश्व कप से पहले इसका महत्व अधिक हो जाता है।
मामले की जानकारी रखने वाले बीसीसीआई के एक सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, हां, जिन खिलाड़ियों ने हाल ही में आयरलैंड में श्रृंखला खेली है (जसप्रीत बुमराह, प्रसिद्ध कृष्णा, संजू सैमसन), उन्हें छोड़कर अधिकतर खिलाड़ियों का नियमित फिटनेस परीक्षण अनिवार्य रक्त परीक्षण के साथ किया जाएगा। जिन मापदंडों की जांच की जाएगी, उनमें लिपिड प्रोफाइल, रक्त शर्करा (उपवास और पीपी), यूरिक एसिड, कैल्शियम, विटामिन बी12 और डी, क्रिएटिनिन, टेस्टोस्टेरोन शामिल हैं। कई बार डेक्सा परीक्षण भी होते हैं। यह हड्डियों के घनत्व की जांच करने के लिए एक प्रकार का स्कैन है।
एनसीए में काम कर चुके सूत्र ने कहा, इसमें कुछ भी नया नहीं है, श्रृंखला के बीच में जब खिलाड़ी ब्रेक लेते हैं तो ये परीक्षण होते हैं। उनके पास उनके शरीर की आवश्यकता के अनुसार व्यक्तिगत आहार चार्ट और अनुकूलित प्रशिक्षण मॉड्यूल भी है। उन्होंने कहा कि जहां तक आराम और रिकवरी की बात है तो आठ से नौ घंटे की गहरी नींद से बेहतर कोई तरीका नहीं है। उन्होंने कहा, यह एक ज्ञात तथ्य है कि अगर आठ से नौ घंटे की गहरी नींद ली जाए तो चोट लगने की संभावना हमेशा कम होती है।