- यूनेस्को ने गुजरात के गरबा लोकनृत्य को अपनी सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया
AHAMDABAD; संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने गुजरात के गरबा लोकनृत्य को अपनी सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया है. इसके साथ ही यूनेस्को से सांस्कृतिक विरासत का दर्जा हासिल करने वाला गरबा भारत की 15वीं धरोहर है. इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि लोकनृत्य गरबा जीवन के उत्सव, एकता और परंपराओं में हमारी गहरी आस्था का प्रतीक है. प्रधानमंत्री मोदी एवं गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस पर खुशी जताते हुए इंटरनेट मीडिया पर अपनी बात साझा की है.
गरबा का शामिल होना हमारी संस्कृति की एक सुंदरता
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी तथा गरबा को यूनेस्को की ओर से पहचान देने पर खुशी भी जताई. नवरात्र के दौरान गुजरात व देश के विविध राज्यों में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए गरबा नृत्य किया जाता है. इसमें गाए जाने वाले गीत अधिकांशत: देवी मां पर ही आधारित होते हैं. इस सामूहिक लोकनृत्य में तालियों की थाप के साथ एक घेरे में पंरपरागत वेशभूषा में अधिकांशत: महिलाएं व लड़कियां नृत्य करती हैं. भक्ति व शक्ति की प्रतीक मां दुर्गा की आराधना के गुजरात में नवरात्र पर्व के दौरान पूरी नौ रातों तक गरबा किया जाता है. गरबा भारत के प्राचीन सांस्कृतिक इतिहास का परिचायक है. गुजरात व देश के अन्य राज्यों के अलावा अब कई देशों में भी गरबा नृत्य किया जाता है. प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते गरबा पर्व को देश व दुनिया में काफी प्रचारित किया. पीएम ने कहा कि यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत सूची में गरबा का शामिल होना हमारी संस्कृति की एक सुंदरता है. हमें इसका सम्मान करते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए इसका संरक्षण करना चाहिए.
