मेरठ : युवा पर्यावरण एक्टिविज्म का भविष्य हैं और ग्रेटा थनबर्ग जैसी वैश्विक शख्सियतें दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित करने की अपनी क्षमता के साथ इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। हाशिए पर रह रहे समुदाय के युवाओं के लिए, इस ग्रह(पृथ्वी) को बचाने के लिए आगे आना और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न मौसम की अतिरेक घटनाएं उनके और उनके समुदाय के लिए सबसे अधिक जोखिम में डालने वाली हैं। इन बातों को 19 वर्षीय हिना सैफी समझती हैं – और सामाजिक-आर्थिक हाशिए से उठकर जलवायु चैंपियन बन गई हैं। उत्तर प्रदेश के मेरठ के सिसोला गांव की रहने वाली हिना अब उन 16 महिला चैंपियंस में शामिल हैं जिन्हें, जलवायु संकट से निपटने के लिए वीमेन क्लाइमेट कलेक्टिव (डब्ल्यूसीसी) की तरफ से एक मंच दिया जा रहा है। 10 अलग-अलग संगठनों द्वारा समर्थित, कलेक्टिव का उद्देश्य महिलाओं को अपनी आवाज उठाने और जलवायु से संबंधित बातचीत का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करना है, जिससे समावेशी परिणाम हासिल करने के लिए समाधान का हिस्सा बनने के लिए उन्हें सशक्त बनाया जा सके।
फ़ुटबॉल फ़ैक्टरी में कर चुकी हैं पार्ट-टाइम काम :
हिना की कहानी अविश्वसनीय धैर्य और हिम्मत की कहानी है क्योंकि वह एक मजदूर परिवार से संबंध रखती हैं। वह कहती हैं, “मेरे पिछड़े गाँव में बहुत गरीबी है और यहाँ बाल श्रम(बच्चों से काम लेना) आम बात है। मुझे भी आठवीं पास करने के बाद पढ़ाई बंद करने को कहा गया। हालाँकि, मैं आगे पढ़ने के अपने फैसले पर अडिग रही। स्कूल में पढ़ाई के जरिए खुद की और अपने परिवार की मदद करने के लिए, मैंने एक फ़ुटबॉल फ़ैक्टरी में पार्ट-टाइम काम भी किया।”
अभी हिना मेरठ के एक निजी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं और अपने आस-पड़ोस के बच्चों को पढ़ाती भी हैं। वह कहती हैं, “मैं हमेशा से कुछ बदलाव लाना चाहती थी और एक स्थानीय एनजीओ ‘एन ब्लॉक’ से जुड़ने के बाद समाज सेवा में मेरी दिलचस्पी बढ़ गई। आज, मैं ‘द क्लाइमेट एजेंडा’ से जुड़ी हूं, और अपनी मेंटर सानिया अनवर की मदद से, अपने समुदाय को जलवायु से जुड़े विषयों के प्रति संवेदनशील बनाने की कोशिश कर रही हूं, क्योंकि जहां मैं रहती हूं, वहां पर्यावरण और जलवायु संबंधित जानकारी की भारी कमी है। जमीन पर आप जो काम करते हैं उससे लोगों के व्यवहार में बदलाव आता है।”
आज हिना के पास अपने कई सुविधासंपन्न मित्रों की तुलना में पर्यावरण क्षेत्र में अधिक अनुभव है। पांच साल से अधिक समय तक, उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, स्थिरता(सस्टेनेबिलिटी) और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में काम किया है। हाल ही में, उन्होंने सौर ऊर्जा के फायदों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए ‘सूरज से समृद्धि’ अभियान की शुरुआत की और सार्वजनिक भवनों में छत पर सोलर इंस्टालेशन के महत्व तथा सौर पंपों व सौर ऊर्जा से चलने वाले वायु प्रदूषण से जुड़े समाधानों के बारे में जानकारी का प्रसार किया।
क्या कहना है हिना है :
हिना कहती हैं, “बहुत सारे लोग, खास तौर पर ग्रामीण भारत में, पौधरोपण को प्रदूषण की समस्या से निपटने का एकमात्र समाधान मानते हैं। उन्हें यह सिखाना कि सौर ऊर्जा, सार्वजनिक परिवहन, जल संरक्षण और एक सर्कुलर इकोनॉमी धरती को बचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं, चुनौतीपूर्ण है।”
हिना ‘100% उत्तर प्रदेश’ पहल से भी जुड़ी हुई हैं और जानती हैं कि बड़े स्तर पर बदलाव लाने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना बेहद जरूरी है। वह कहती हैं, “मैं सार्वजनिक जागरूकता लाने और पैम्फलेट बांटने, जनसभाओं, डोर-टू-डोर यात्राओं और सर्वे जैसी गतिविधियों के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कड़ी मेहनत करती हूं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि जब लोग अपनी छोटी-छोटी आदतों में बदलाव लाते हैं तो वे बड़े स्तर पर परिवर्तनकारी बदलाव ला सकते हैं।”