- केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के केंद्र में महिलाओं को प्राथमिकता देने का मिलेगा भरपूर लाभ
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में सीएम योगी के प्रयासों से यूपी की महिलाएं बन रहीं भाजपा की कोर वोटर
- बेटियों के पैदा होने से लेकर उनकी पढ़ाई और विवाह तक की चिंता कर रही है योगी सरकार
- निराश्रित महिलाओं के लिए भी सरकार बनी सहारा, मिशन शक्ति से आत्मनिर्भरता की ओर किया अग्रसर
- उत्तर प्रदेश में 7.17 करोड़ से अधिक है महिला मतदाताओं की संख्या, जीत-हार में निभा रहीं बड़ी भूमिका
LUCKNOW : उत्तर प्रदेश की आधी आबादी हर बार की तरह इस बार भी चुनावों में बड़ा फैक्टर साबित होने जा रही है। सभी पार्टियां आधी आबादी को लुभाने में लगी हुई हैं, लेकिन यदि पिछले कुछ चुनावों में वोटिंग पैटर्न पर नजर डालें तो आधी आबादी का रुझान पीएम मोदी और सीएम योगी के समर्थन में रहा है। 2014 से आए इस बदलाव में 2017 के बाद और मजबूती आई है। विगत 7 वर्षों में डबल इंजन सरकार ने महिला केंद्रित योजनाओं को आगे बढ़ाकर आधी आबादी को और सशक्त किया है। योगी सरकार प्रदेश में बेटियों के जन्म से लेकर उनकी शिक्षा और विवाह तक के लिए योजनाएं चला रही है। वहीं महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी कई तरह की योजनाओं का लाभ प्रदान किया जा रहा है। प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की बेहतर स्थिति के चलते महिलाएं अब बिना भय के जीवनयापन कर पा रही हैं। राज्य की महिला श्रम बल में भागीदारी दर 32.10 प्रतिशत पहुंच चुकी है। सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के साथ ही आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहीं महिलाएं इस बार 80 में 80 सीटें जीतने के पीएम मोदी के संकल्प को पूरा करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या 15.34 करोड़ है, जिसमें महिला मतदाताओं की संख्या 7.17 करोड़ है, जो डिसाइडिंग फैक्टर साबित हो सकता है।
मिली सुरक्षा तो आत्मनिर्भर हुईं यूपी की महिलाएं
महिला सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन सुनिश्चित करने के सीएम योगी के संकल्प के साथ ही किए गए प्रयासों के सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। पीरियॉडिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की महिला श्रम बल में भागीदारी दर 2017-18 में 14.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 32.10 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में महिलाओं के उत्थान के लिए समर्पित प्रयास किए गए, जिसके परिणामस्वरूप यह वृद्धि हुई है। पिछले 7 वर्ष में योगी सरकार की नीतियों को देखें तो ‘महिला सशक्तिकरण’ शीर्ष प्राथमिकता के रूप में साफ दिखाई देता है। रोजगार के लिए जो योजनाएं शुरू की गईं, उसमें महिलाओं को बराबर का भागीदार बनाया जा रहा है। मुद्रा योजना गांव-गांव में, गरीब परिवारों से भी नई-नई महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित कर रही है। इस योजना के तहत पूरे देश मिले कुल ऋण में से लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं को दिए गए हैं। दीनदयाल अंत्योदय योजना के जरिए भी देश भर में महिलाओं को सेल्फ हेल्प ग्रुप्स और ग्रामीण संगठनों से जोड़ा जा रहा है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 2014 से पहले के 5 वर्षों में जितनी मदद दी गई, बीते 7 साल में उसमें लगभग 13 गुणा बढ़ोतरी की गई है। हर सेल्फ हेल्प ग्रुप को पहले जहां 10 लाख रुपए तक का बिना गारंटी का ऋण मिलता था, अब ये सीमा भी दोगुनी यानि 20 लाख की गई है। राज्य में 80 हजार राशन दुकानों में महिला स्वयं सहायता समूह की अहम भूमिका है।
शिक्षा से लेकर विवाह तक का किया जा रहा प्रबंध
महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध में सजा दिलाने में यूपी पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदेश बनकर उभरा है। महिलाएं रात की पाली में भी काम कर सकें, इसके लिए नियमों को आसान बनाने का काम सरकार ने किया। खदानों में महिलाओं के काम करने पर जो कुछ बंदिश थी, वो सरकार ने हटाई है। देशभर के सैनिक स्कूलों के दरवाजे, लड़कियों के लिए खोल देने का काम भी ऐतिहासिक है। बलात्कार जैसे संगीन अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिए योगी सरकार ने 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट्स स्थापित किए हैं। बालिकाओं को शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए संचालित मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत सहायता राशि 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार कर दी गई है। योजना से अब तक 18.66 लाख बेटियां लाभान्वित हुई हैं। निर्धन परिवारों की बेटियों की शादी के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक योजना संचालित है। इसके अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ ही सामान्य वर्ग के निर्धन परिवार भी आवेदन कर सकते हैं। योजना का लाभ विधवा और तलाकशुदा भी उठा सकती हैं। एक जोड़े के विवाह पर कुल ₹51 हजार की धनराशि की व्यवस्था है। योजना के तहत अब तक 3.50 लाख जोड़ों का विवाह सम्पन्न कराया जा चुका है। निराश्रित महिला को प्रति लाभार्थी 1000 रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है। वर्तमान में 32.71 लाख निराश्रित महिलाओं पेंशन दी जा रही है।
संगठित, सशक्त, स्वावलंबी बनी आधी आबादी
जघन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं/बालिकाओं को आर्थिक सहायता हेतु कोष की स्थापना की गई है। इसके अंतर्गत 7,105 महिलाओं/बालिकाओं को क्षतिपूर्ति धनराशि प्रदान की गई है। महिलाओं को संगठित, सशक्त, स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए 8.37 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन करते हुए ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों की 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को आच्छादित किया गया है। महिला स्वयं सहायता समूहों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत 1,840 उचित मूल्य की दुकानों का आवंटन किया गया है। आंगनवाड़ी केंद्रों पर वितरित होने वाला पोषाहार अब स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किया जा रहा है। योगी सरकार की बैंकिंग कॉरस्पॉन्डेंट सखी योजना वित्तीय समावेशन का मॉडल बनकर उभरी है। प्रदेश की सभी 57 हजार ग्राम पंचायतों में विभिन्न बैंकों के माध्यम से बीसी सखी को पदस्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।
केंद्र की योजनाओं का भी मिल रहा लाभ
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत प्रदेश में 1.75 करोड़ परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जा चुका है। होली व दीपावली में नि:शुल्क एलपीजी सिलेंडर दिया गया है। वहीं, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अभी तक प्रदेश में 55.83 लाख आवास निर्मित किए गए हैं। इनमें अधिकांश आवास मातृशक्ति के नाम आंवटित किए गए हैं। पीएम स्वनिधि योजना के अंतर्गत प्रदेश में अब तक 17 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को ऋण वितरित किया जा चुका है। इनमें 2 लाख से अधिक महिलाओं को ऋण दिया गया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रदेश में अब तक 2.61 करोड़ शौचालयों (इज्जतघर) का निर्माण कराया जा चुका है। इसके अतिरिक्त नगरीय निकायों में 4,500 पिंक शौचालय निर्मित कराए गए हैं। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना (घरौनी) के तहत अब तक 66.59 लाख लाभार्थियों/महिलाओं को स्वामित्व प्रमाण पत्र प्रदान किया जा चुका है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के माध्यम से अब तक 54.44 लाख गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना में 1 करोड़ 90 लाख महिलाओं एवं बालिकाओं को जागरूक किया गया है।
पुरुषों से ज्यादा वोटिंग में दिलचस्पी ले रहीं यूपी की महिलाएं
उत्तर प्रदेश में महिला मतदाताओं की भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है। वर्तमान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कुर्सी तक पहुंचाने में महिला वोटर्स की हिस्सेदारी काफी महत्वपूर्ण रही है। बीते कुछ वर्षों में यूपी में वोटिंग पैटर्न कुछ इस तरह का रहा है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा वोट कर रही हैं। साल 2017 में 63.31 फीसद महिला मतदाताओं ने वोट किया था, जबकि 2019 लोकसभा में यह प्रतिशत 67.18 रहा। एक अनुमान के मुताबिक महिला वोटिंग में पिछले तीन दशकों में 15 फीसद तक की बढ़त हुई है। महिलाओं में बढ़ती राजनीतिक चेतना के साथ-साथ चुनावों में उनकी रुचि का यह साफ संकेत है। महिलाएं राजनीतिक रूप से अपनी स्थिति को पहले से बेहतर समझ रही हैं और निर्णायक वोट बैंक के तौर पर उभर रही हैं। आंकड़ों से यह बात साफ हो गई है कि महिलाओं का जिस दल की ओर झुकाव रहा है वह सत्ता में पहुंचने में कामयाब रहा है।