Mangla Gauri Vrat 2023। सावन के पावन महीने में जो भी मंगलवार पड़ते हैं उन सभी को मंगला गौरी व्रत करने का विधान है। आज मंगला गौरी का व्रत रखा जा रहा है। हिंदू धर्म में सावन का महीना बड़ा महत्व होता है। यह महीना भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय माना जाता है। मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अपने घर परिवार की सुख शांति के लिए करती हैं। इस व्रत में माता गौरी अर्थात् पार्वती जी की पूजा की जाती है। मंगला गौरी व्रत को मोराकत व्रत के नाम से भी जाना जाता है। तो आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत का महत्व और पूजा विधि।
बता दें कि मंगल को वैवाहिक जीवन के लिए अमंगलकारी माना जाता है क्योंकि कुंडली में मंगल की विशेष स्थिति के कारण ही मांगलिक योग बनता है जो दांपत्य जीवन में विभिन्न समस्याओं का कारण बनता है। मंगल की शांति के लिए मंगलवार का व्रत और हनुमान जी की पूजा को उत्तम माना जाता है, लेकिन अन्य दिनों की अपेक्षा सावन महीने में सोमवार के अलावा मंगलवार का भी शास्त्रों में स्त्रियों के लिए सौभाग्यदायक बताया गया है।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
मंगला गौरी व्रत के प्रभाव से विवाह में हो रहे विलंब समाप्त हो जाते हैं तथा जातक को मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती हैं, दांपत्य जीवन सुखी रहता है तथा जीवनसाथी की रक्षा होती है, पुत्र की प्राप्ति होती है, गृहक्लेश समाप्त होता है, डाइवोर्स तथा सेपरेशन से संबन्धित ज्योतिष योग शांत होते हैं, तीनों लोकों में ख्याति मिलती है, सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि
मां मंगला अर्थात पार्वती माता की पूजा के लिए सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद पूजा प्रारंभ करें। पूजा स्थल पर लाल रंग का साफ़ कपड़ा बिछा लें। उस पर मां मंगला यानी कि मां पार्वती की कोई तस्वीर, प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें। उसके बाद विधि विधान से मां पार्वती की पूजा करें। इस दिन का व्रत फलाहार रहा जाता है और शाम को एक बार अन्न ग्रहण किया जा सकता है
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिन पुरुषों की कुंडली में मांगलिक योग है उन्हें इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए । इससे उनकी कुण्डली में मौजूद मंगल का अशुभ प्रभाव कम होगा और दांपत्य जीवन में खुशहाली आएगी।





