हँसने, बोलने, लिखने और सवाल पूछने वाली लड़कियां कभी तुम्हारे जीवन का हिस्सा नहीं रही और न ही तुमनें ऐसी ल़डकियों की कल्पना की बेटी, बहन, पत्नी के रूप में पाने की..शुरू से बेटियों को कलेजे का टुकड़ा और घर की इज्ज़त का बोझ डाल उसका शोषण किया. .उसे हमेशा बेटे से कमतर आंका..बेटे की चाहत में कई कई बेटियां पैदा की या उन्हें गर्भ में ही मार दिया. पैदा हुई बेटियों को हमेशा बोझ होने का एहसास दिलाया ..उनकी पढ़ाई पर खर्च करने से ज़्यादा उनके दहेज पर ख़र्च किया और सौंप दिया अपना भार किसी दूसरे पुरुष पर जिसे आपने दामाद के रूप में चुना..आपने ख़ुद कई ल़डकियों से मोहब्बत का नाटक किया, उनकी तेज बुद्धी के कायल हो तारीफ़ में कसीदे कसे, साथ जीने मरने की कसमें खाकर उनका शारीरिक मानसिक शोषण किया और शादी पिता की पसंद की लड़की से करके दहेज से घर भर लिया..जाने अंजाने पत्नि पर बेटा पैदा करने का दबाव बनाते रहे क्यूंकि आप लड़का होने का सुख समझते हैं..बेटियों को लेकर आपके अंदर का डर आपसे ज़्यादा कौन समझ सकता है..
अपने घर की औरतों को कंट्रोल कैसे करना आप बखूबी जानते हैं..उन पर ख़ूबसूरत होने का सदा दबाव बनाए रखते हैं..उनके पार्लर, कपड़े और जेवर का ख़र्च ख़ुशी ख़ुशी वहन करते हैं..उनके ऊपर घर और बच्चों की ज़िम्मेदारी डाल घर से बाहर अपने लिए एक नई दुनिया के निर्माण में लगे रहते हैं यह कहते हुए कि यह सब आप बीवी बच्चों के लिए ही तो कर रहे और आपकी इस अदा पर आपकी बीवी मर मिटती है. .आप उसे कम्फर्ट और luxury देते जाते हैं और बदले में अपने लिए मनचाही ज़िंदगी पा लेते हैं. .आप कहाँ जाते हैं, किससे मिलते है, क्या करते हैं ऐसे सवाल आपके जीवन में बेमानी है लेकिन आपकी बीवी को मायके भी जाना हो तो आपसे परमिशन लेनी पड़ती है क्यूँकी आप उसके पति ही नहीं उसकी जिंदगी के हर मिनट के मालिक हैं..
याद कीजिए कभी आपने अपनी बीवी से दुनिया, समाज, राजनीति की बात की हो तो…यहां तक कि अगर कभी आपने उसे ऐसे विषयों पर बोलते हुए सुना भी होगा तो व्यंग्य ही किया है या मुस्कराकर निकल गए होगे. .क्या कभी आपने अपनी बीवी की समझ को अपडेट करने की कोशिश की है जरा सोचिएगा ..आपको कोई मतलब नहीं कि आपकी बीवी इस दुनिया के बारे में कितना कम जानती है क्यूँकी इसी के बहाने आप उसका सुरक्षा कवच बनकर ताउम्र उसे अपनी उँगली पर नचा सकेंगें. .आपको बीवी के रूप में जीवनसाथी नहीं सेक्स पार्टनर, बच्चों के लिए माँ और घर के लिए एक फुल time नौकर चाहिए था जिसे हर महीने सैलरी भी न देना पड़े..
आपकी इस सोच से अलग हँसती, बोलती, लिखती औरतें आपको बहुत चुभती हैं ..आप तिलमिला जाते हैं उनकी पोस्ट देखकर. .सहम जाते हैं कहीं आपके घर की ल़डकियों औरतों तक उनका लिखा न पहुँच जाए. .जिस दिल दिमाग पर आपका आधिपत्य है कहीं वह सवाल न पूछने लग जाये..आपको मिला पति परमेश्वर का सिंहासन हिलने न लग जाये.
हे पुरुष आप कब समझेंगे इस बात को हमें आपको नीचा नहीं दिखाना…हम आपसे कोई होड़ नहीं कर रहे बस इतनी बड़ी दुनिया में अपने लिए एक छोटा सा स्पेस create करने की कोशिश कर रहे जहाँ हमें भी इंसान समझा जाए..हमें भी वही मान सम्मान मिले जिसके हम हकदार हैं और इसके लिए हमें मंजूर है अपने हिस्से का संघर्ष..थोड़े से पैसों के लिए दोहरी ज़िम्मेदारी निभाना, घर दफ्तर के बीच सामंजस्य बिठाते बिठाते थक जाना. .लिखना, बोलना और अपने अधिकारों के लिए लड़ना ..यहां तक कि मंजूर है हमें आपके जीवन से बेदखल होना भी. ..