- इतिहास के पन्नों में दफन हुआ अकबरनगर, कुकरैल नदी के पुनर्जीवन की राह हुई आसान
- बुधवार तड़के आखिरी बची इमारत को भी ध्वस्त कर एलडीए ने पूरी की अपनी कार्रवाई
- कुकरैल नदी के किनारे निर्मित होगा रिवर फ्रंट, क्षेत्र को ईको टूरिज्म का हब बनाएगी योगी सरकार
अभियान के दौरान अवैध बने 1169 आवास और 101 कॉमर्शियल निर्माण हुए ध्वस्त - अभियान में करीब 24.5 एकड़ जमीन पर बने 1800 से अधिक अवैध निर्माण किए गए जमींदोज
- दिसंबर 2023 से शुरू हुआ था अतिक्रमण हटाने का अभियान, कोर्ट ने भी कार्रवाई को सही माना
- शासन के निर्देश पर सर्वे के दौरान नदी की जमीन पर बड़ी संख्या में अवैध निर्माण की बात आई थी सामने
LUCKNOW : कुकरैल नदी का अतिक्रमण कर अवैध कब्जों से पाट दिया गया लखनऊ का अकबरनगर इलाका अब इतिहास के पन्नों में दफन हो चुका है। इस क्षेत्र को अब इको टूरिज्म के हब के रूप में विकसित किए जाने की तैयारी हो रही है। रिवर फ्रंट के साथ ही देश की पहली नाइट सफारी के अलावा सरकार ने इस क्षेत्र को चमकाने का पूरा रोडमैप तैयार कर लिया है। इस पर जल्द अमल शुरू होगा। योगी सरकार के प्रयासों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इस पूरे क्षेत्र को भूमाफिया, घुसपैठियों, रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के कब्जे से खाली करा लिया गया है। यहां कब्जा कर बनाए गए एक-एक अवैध मकान और बड़े-बड़े वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को जमींदोज कर दिया गया है। बुधवार तड़के रात आखिरी बची चार मंजिला इमारत को भी ध्वस्त कर एलडीए ने अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया। 10 जून से शुरू हुई कार्रवाई के खत्म होने के बाद अब योगी सरकार इस क्षेत्र के चहुंमुखी विकास पर ध्यान देने जा रही है।
1800 से अधिक अवैध निर्माण हुए जमींदोज
पिछली सरकारों और भूमाफिया की सांठगांठ के चलते कुकरैल नदी की जमीन पर कब्जा कर यहां अवैध निर्माण कर लिए गए थे। सीएम योगी ने प्रदेश की बागडोर संभालने के बाद इस ओर ध्यान दिया। शासन के निर्देश पर सर्वे के दौरान नदी की जमीन पर बड़ी संख्या में अवैध निर्माण की बात सामने आई थी, जिसके बाद सीएम योगी ने इस अवैध निर्माण के खिलाफ बुलडोजर चलाने का निर्णय लिया। लोकसभा चुनाव के पहले दिसंबर 2023 से शुरू हुआ यह अभियान लोकसभा चुनाव के बाद भी अनवरत जारी रहा और आखिरकार 19 जून की तड़के अंतिम इमारत को ध्वस्त करने के बाद ही रुका। इस दौरान योगी के बुलडोजर ने यहां अवैध रूप से बने 1169 मकानों और 101 कॉमर्शियल निर्माण को जमींदोज कर दिया। इस अभियान में करीब 24.5 एकड़ जमीन पर बने 1800 से अधिक अवैध निर्माण ध्वस्त किए गए हैं, जो इस अभियान की व्यापकता को दर्शाता है। इस दौरान कई अड़चनें भी आईं, लेकिन सीएम योगी ने हर चुनौती का सामना करते हुए इस अभियान को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा किया। कुकरेल नदी को पुनर्जीवित करने के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए सीएम योगी ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। कोर्ट ने भी योगी सरकार की कार्रवाई को सही माना।
नए सिरे से विकसित होगा क्षेत्र
कुकरैल नदी का क्षेत्र खाली होने के बाद अब यहां रिवर फ्रंट विकसित किया जाएगा। बख्शी के तालाब के पास दशौली गांव को इसका उद्गम स्थल माना जाता है, इसलिए वहीं से इसका विकास किया जाएगा। साथ ही सभी यहां मौजूद सभी तालाबों को इंटरलिंक करके क्षेत्र को संवारा जाएगा। इसके अलावा भी नगर विकास विभाग के अंतर्गत कई अन्य परियोजनाओं को यहां मूर्त रूप दिया जाएगा। यही नहीं, कई अन्य विभागों को भी इस क्षेत्र के विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन परियोजनाओं का लेआउट प्लान तैयार किया जा रहा है और जल्द ही सीएम योगी की मंजूरी के बाद इसकी घोषणा की जाएगी। वहीं, योगी सरकार कुकरैल वन क्षेत्र को ईको टूरिज्म का हब बनाने जा रही है। यहां देश की पहली नाइट सफारी विकसित होने जा रही है। कुकरैल नाइट सफारी पार्क देश की पहली नाइट सफारी होगी। नाइट सफारी क्षेत्र में इंडियन वॉकिंग ट्रेल, इंडियन फुटहिल, इंडियन वेटलैंड, एरिड इंडिया व अफ्रीकन वेटलैंड की थीम पर विकसित किए जाने वाले क्षेत्र मुख्य आकर्षण होंगे। नाइट सफारी में कुल 42 इनक्लोजर में 54 प्रजातियों के जानवरों को रखा जाएगा। पर्यटकों द्वारा नाइट सफारी पार्क का अवलोकन 5.5 किमी ट्राम-वे तथा 1.92 किमी का पाथ-वे के माध्यम से किया जाएगा। नाइट सफारी में एशियाटिक लॉयन, घड़ियाल, बंगाल टाइगर, उड़न गिलहरी, तेंदुआ, हायना आदि आकर्षण का केंद्र होंगे। कुकरैल नदी के दोनों तरफ सुंदर पार्क विकसित किए जाएंगे। एडवेंचर एक्टिविटी भी होंगी।
सोशल मीडिया पर भी योगी सरकार के एक्शन की चर्चा
सीएम योगी के इस एक्शन की चर्चा सोशल मीडिया में भी हो रही है। लोग अंतिम इमारत ढहाए जाने के वीडियो पोस्ट कर इस क्षेत्र को अराजकता से मुक्ति दिलाने के लिए सीएम योगी की प्रशंसा कर रहे हैं। कई सोशल मीडिया यूजर्स पहले और अब की तस्वीरें पोस्ट कर बता रहे हैं कि कैसे इस क्षेत्र का अतिक्रमण किया गया था। लोगों का दावा है कि घुसपैठियों ने यहां सरकारी जमीन पर कब्जा कर अराजकता फैला रखी थी। यहां से कानून व्यवस्था को खराब करने की साजिश रची जाती थी। एक यूजर ने लिखा कि 18 जून, 1576 को अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा गया था। संयोग देखिए कि महाराणा प्रताप के उपासक पूज्य महाराज जी के नेतृत्व में कल ही (युद्ध वाले दिन) अकबर नगर इतिहास के पन्नों में दफ्न हो गया। ऐसे संयोग ईश्वरीय इच्छा से ही बनते हैं। कुछ लोग इसे लैंड जिहाद का खात्मा भी करार दे रहे हैं।