December 20, 2025 9:10 am

विजया एकादशी का व्रत कल, जानें इसकी पूजाविधि व उपवास के नियम…

Vijaya-Ekadashi
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नई दिल्ली:। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बड़ा महत्व है। भगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने इस तिथि को स्वयं के समान ही माना है। मान्यता है कि इस पावन तिथि को विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु के निमित्त पूजा और जितेन्द्रिय होकर व्रत करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल विजया एकादशी का व्रत कल 16 फरवरी, गुरुवार को रखा जाएगा।

विजया एकादशी तिथि

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 16 फरवरी दिन गुरुवार को सुबह 05 बजकर 32 मिनट पर शुरू हो रही है और 17 फरवरी को तड़के 02 बजकर 49 मिनट पर समाप्त हो रही है। उदयातिथि के आधार पर विजया एकादशी का व्रत 16 फरवरी को रखा जाएगा।

व्रत की महिमा

  • पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार स्वयं भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए इसी एकादशी का व्रत किया था।
  • मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से विपरीत परिस्थितियां व्यक्ति के लिए अनुकूल होने लगती हैं  और शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है।
  • विजया एकादशी व्रत के बारे में शास्त्रों में लिखा है कि यह व्रत करने से स्वर्णणदान, भूमि दान, अन्न दान और गौ दान से अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और अंततः प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • यह भी मान्यता है कि इस महानपुण्यदायक व्रत को करने से व्रती को वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है एवं सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि आपका कोई शत्रु आपको परेशान करता है तो उसे परास्त करने के लिए ये व्रत करना अच्छा रहता है।

पूजाविधि

  • विजया एकादशी पर शेषनाग की शैया पर विराजमान व लक्ष्मीजी जिनके चरण दबा रही हों, उन भगवान श्री नारायण की पूजा का विधान है।
  • पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल के ईशान कोण में एक वेदी बनाएं और उस पर सप्तधान रखें और यहां जल से भरा एक कलश स्थापित करें।
  • कलश में आम या अशोक के ताजे पत्तों को रखें और इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापित करें।
  • पंचामृत से स्नान करवाकर भगवान को पीले चंदन का तिलक लगाकर पीले फूल, मौसमी फल, तुलसी दल और नवैद्य आदि अर्पित कर धूप-दीप जलाएं और विजया एकादशी की व्रत कथा सुनें।
  • आखिर में दीप व कपूर से भगवान विष्णु की आरती करें।
  • यथाशक्ति पूरे दिन व्रत रखें और विष्णुजी के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें।
  • इस दिन विष्णुजी के मंदिर में दीपदान करना बहुत शुभ माना गया है।

व्रत के नियम

  • इस दिन हरि भक्तों को परनिंदा, छल-कपट, लालच, द्वेष की भावनाओं से दूर चाहिए और काले वस्त्र पहनने से बचना चाहिए।
  • यदि उपवास रखें तो बहुत उत्तम होगा, नहीं तो एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  • एकादशी के दिन चावल और भारी खाद्य का सेवन न करें।
  • इस दिन रात्रि के समय पूजा उपासना हरि कीर्तन करना बहुत पुण्यदायक माना गया है।
UP Ka Agenda
Author: UP Ka Agenda

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