कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि “NEP (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) में बदलाव का फैसला मूर्खतापूर्ण है. सिद्धारमैया सरकार ने अपने पुराने शासनकाल के दौरान इस मसौदे को मंजूरी दी थी. यह मसौदा एक भविष्यवादी दृष्टिकोण के साथ बनाया गया है जिसमें कई सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं.
छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने के विकल्प दिए गए हैं. यदि यह सरकार इसे वापस लेने के बारे में सोचती है, तो इसकी कीमत हमारे बच्चों के भविष्य से चुकानी पड़ेगी. नीति में छोटे मोटे बदलाव किए जा सकते हैं, लेकिन अगर इसे वापस लिया जाता है, तो कोई भी छात्र या शिक्षाविद् सहमत नहीं होगा और लोग इसके खिलाफ विद्रोह करेंगे”.
क्या कहा कर्नाटक के मंत्री
कर्नाटक के मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा कि “शिक्षा राज्य का विषय है. किसी राज्य पर नीतियां दिल्ली द्वारा क्यों थोपी जानी चाहिए? उन्हें राज्यों पर शिक्षा नीतियां नहीं थोपनी चाहिए. हम अपनी शिक्षा नीति का आधार अपनी आवश्यकताओं के आधार पर विकसित करना चाहते हैं, न कि उस आधार पर जो दिल्ली ने तय किया. हम एक संघीय ढांचे वाले हैं. बोम्मई अपना मुंह नहीं खोल सके क्योंकि उन्हें दिल्ली की बात सुननी है. उन्हें राज्य की शिक्षा नीति में योगदान देना चाहिए”.





