December 20, 2025 11:08 am

इलेक्ट्रिक वाहनों से दुनियाभर की नजर अपनी ओर खींचने वाला FFV क्या है?

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दुनियाभर के ऑटो उद्योग तेजी से बिजली से चलने वाले वाहनों की ओर बढ़ रहा है। US व UK जैसे देश इलेक्ट्रिक वाहन पर काम कर रहे है और भारत भी 2030 तक 100 प्रतिशत ईवी (Electric Vehicle) के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है. लेकिन इस बीच सभी का ध्यान FFV ने अपनी ओर खींचा है. दिलचस्प बात यह है कि कई देश अब इलेक्ट्रिक वाहन की जगह FFV वाहन पर ध्यान दे रहे है.

क्या है FFV ?

ऍफ़ ऍफ़ वी जिसका पूरा नाम flex fuel vehicles है. इसको लेकर दावा किया जा रहा है कि 100 प्रतिशत पेट्रोल या 100 प्रतिशत बायो-इथेनॉल या दोनों के संयोजन पर चलने में सक्षम है। अगर इसको लेकर किया जा रहा दावा सच है तो यह भारतीय सड़कों पर चलने वाला अपनी तरह का पहला 100 प्रतिशत दोहरे ईंधन वाला वाहन होगा। बता दें भारत में बिकने वाले एक लीटर पेट्रोल में औसतन 8 % इथेनॉल (Ethanol) सामग्री होती है, हालांकि तेल विपणन कंपनियों को 10 % सम्मिश्रण करने की भी मंजूरी है। भारत में निर्मित सभी वाहन 10 प्रतिशत सम्मिश्रण के लिए तैयार हैं पर अभी 10 % से अधिक उच्च इथेनॉल वाहन भारतीय सड़कों पर नहीं चल पाएंगे।

इथेनॉल-मिश्रित ईंधन भारत के लिए नया नहीं है। एक दशक से अधिक समय से यहाँ पेट्रोल को 2 से 3 प्रतिशत इथेनॉल (Ethanol) के साथ मिलाया जाता है। चूंकि इथेनॉल के निम्न स्तर (लगभग 10 % ) का वर्तमान आंतरिक दहन इंजनों पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं है. इसलिए भारत के कच्चे तेल के आयात बिल को कम करने के लिए इथेनॉल डोपिंग किया गया था। पिछले कुछ वर्षों में यह डोपिंग स्तर लगभग 10% तक बढ़ गया है, जिसे सरकार 2025 तक 20 % तक ले जाने की योजना बना रही है।

कितनी होगी खपत

पेट्रोल की खपत के अनुमान और 20 प्रतिशत इथेनॉल के मिश्रण को ध्यान में रखते हुए, भारत को 2025 में 1,016 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी, जो भारत के इस जैव ईंधन की 1,500 करोड़ लीटर की अनुमानित आपूर्ति से काफी कम है। खोई के अलावा (रस निकालने के बाद गन्ने का अवशेष) चावल और गेहूं के भूसे, मकई के भुट्टे और यहां तक ​​कि फलों की खाली शाखाओं जैसे कृषि अवशेषों से 2G या दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल का उत्पादन किया जाता है।

इस प्रकार, ये 2G इथेनॉल संयंत्र महत्वपूर्ण रूप से कृषि अपशिष्ट से इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि करेंगे।
2G इथेनॉल कृषक समुदाय के लिए अपशिष्ट से धन सृजन का एक अच्छा उदाहरण है। क्योंकि भारत में इथेनॉल उत्पादन की अच्छी संभावना है. इसलिए भविष्य में व्हीकल में आंतरिक दहन इंजन (ICE) की मांग बढ़ेगी। 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के साथ देश न केवल अपने कच्चे आयात को कम कर देगा, बल्कि एक स्वस्थ ईंधन का जलाया जाना भी सुनिश्चित होगा।

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पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल E20 को हिट करने से पेट्रोल की तुलना में दोपहिया वाहनों में 50 प्रतिशत और चौपहिया वाहनों में 30 प्रतिशत कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन देखा गया। . रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि E0 के लिए डिज़ाइन किए गए और E10 के लिए कैलिब्रेट किए गए 4 पहिया वाहनों में E20 सम्मिश्रण से ईंधन दक्षता में लगभग 6-7 प्रतिशत की गिरावट आएगी।

इथेनॉल के उच्च सम्मिश्रण का अर्थ होगा उच्च निर्माण लागत, जिसकी वजह से वाहन महंगे हो सकते हैं। कुछ ऑटो पार्ट्स, विशेष रूप से जो उच्च इथेनॉल सामग्री के संपर्क में आते हैं, उन्हें जंग से बचने के लिए एक संगत उत्पाद से बदलना होगा। फिर भी ऑटो ऑटोमोटिव कंपनियां जोश के साथ 2025 तक E20 के इथेनॉल सम्मिश्रण पर सरकारी नियमों के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।

निष्कर्ष– इस पोस्ट में हमने आपको बताया कि FFV (Flex Fuel Vehicles) क्या है और इस पर किस तरह से काम किया जा रहा है और भविष्य में इसे वाहनों म युप्योग करने को लेकर क्या योजना बनायीं जा रही है. अगर इससे जुड़ा हुआ और कोई प्रश्न आपके मन में हो तो आप हमसे कमेंट करके पूछ सकते है.

UP Ka Agenda
Author: UP Ka Agenda

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