- इस बार शरद पूर्णिमा पर ग्रहण भी
- पूजा-पाठ में करना होगा थोड़ा बदलाव
- खीर को पूरी रात नहीं रखें आसमान के नीचे
Sharad Purnima 2023: हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बहुत महत्व है। एक साल में 12 पूर्णिमा आती हैं। आश्विन माह की पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा में सबसे खास माना जाता है। इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा की अदभुत और दिव्य रासलीलाओं का आरम्भ किया था.
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की रात्रि पर चन्द्रमा (Moon) पृथ्वी के सबसे पास होता है और वह अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इस रात्रि में चन्द्रमा का ओज सबसे तेजवान और ऊर्जावान होता है। उज्ज्वल चांदनी में सारा आसमान धुला नजर आता है, हर तरफ चन्द्रमा के दूधिया प्रकाश में प्रकृति नहा उठती है।
शरद पूर्णिमा में ऐसे रखें खीर
इस बार कई साल बाद शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लगने जा रहा है और इस दिन रात में खीर भी खुले आसमान में रखी जाती है, लेकिन ग्रहण के कारण खीर को पूरी रात बाहर ना रखें, इससे वह दूषित हो जाएगी। बता दें ग्रहण 28 अक्टूबर 2023 की रात 01 बजकर 05 मिनट में लगने जा रहा है और समाप्ति 02 बजकर 23 मिनट पर होगी। इसलिए ग्रहण समाप्त होने के बाद ही यानि 02 बजकर 23 मिनट के बाद ही स्न्नान कर खीर बनाएं और फिर उसे खुले आसमान के नीचे रखें और सुबह भगवान का भोग लगाकर खीर का प्रसाद ग्रहण करें।
पूजन का मुहूर्त
Sharad Purnima के दिन सूतक काल दोपहर 3:00 बजे लगने जा रहा है और सूतक काल लग जाने के बाद पूजा पाठ नहीं किया जाता है। वहीं शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है और इस दिन चंद्र अर्ध्य भी दिया जाता है। ऐसे में पूजा सूतक प्रारंभ होने से पहले आपको पूजा कर लेनी चाहिए और ग्रहण की ख़त्म होने के बाद मंत्रों का जाप करें। इसके साथ ही चन्द्रमा को अर्घ्य दें, दान-पुण्य करें, इससे सारे कष्ट समाप्त हो जाएंगे।