नई दिल्ली :। सुप्रीम कोर्ट राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में निचली अदालत मामले में मिली सजा पर रोक लगा दी है। इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निचली अदालत और गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अधिकतम सजा देने की क्या जरुरत थी? अगर एक साल 11 महीने की सजा दी जाती तो उनकी सदस्यता नहीं जाती। अधिकतम सजा से एक संसदीय क्षेत्र और वहाँ के लोग प्रभावित हुए हैं।
राहुल गांधी के इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी। राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी अदालत में तर्क देते हुए कहा कि खुद शिकायतकर्ता (पूर्णेश) का मूल सरनेम ही मोदी नहीं है। उनका मूल उपनाम भुताला है। फिर यह मामला कैसे बन सकता है। सिंघवी ने कोर्ट को ये भी बताया कि राहुल ने जिन लोगों का नाम लिया, उन्होंने केस नहीं किया। उन्होंने कहा, यह लोग कहते हैं कि मोदी नाम वाले 13 करोड़ लोग हैं, लेकिन ध्यान से देखा जाए तो समस्या सिर्फ बीजेपी से जुड़े लोगों को ही हो रही है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में राहुल का पक्ष रखते हुए कहा कि इस मामले में मानहानि केस की अधिकतम सज़ा दे दी गई। इसका नतीजा यह होगा कि राहुल गांधी 8 साल तक जनप्रतिनिधि नहीं बन सकेंगे। उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया हाईकोर्ट ने 66 दिन तक आदेश सुरक्षित रखा। राहुल लोकसभा के 2 सत्र में शामिल नहीं हो पाए हैं।





