November 23, 2024 1:49 pm

Gender change: प्‍यार के लिए कुछ भी करेगी सरिता, शरद बन रचा ली सगाई

  • जेंडर चेंज करा पुरुष बने शरद ने अपनी महबूबा सविता से की सगाई
  • शाहजहांपुर में बलिदानी रोशन ङ्क्षसह की प्रपौत्री सरिता ने जनवरी में कराए थे आपरेशन

शाहजहांपुर। अपने प्यार को पाने का एक और अनोखा मामला सामने आया है। ये मामला है यूपी के शाहजहांपुर का, जहां मोहब्बत के लिए सरिता नाम की लडक़ी ने अपना जेंडर चेंज कराया और बन गया शरद। अब उनका नाम शरद रोशन ङ्क्षसह है। शुक्रवार को उन्होंने पीलीभीत निवासी फ्रेंड सविता ङ्क्षसह से रिंग सेरेमनी कर ली।इस रिश्ते से दोनों परिवार प्रसन्न हैं।

दुल्हा है स्कूल टीचर

शरद रोशन सिंह ददरौल विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय सातवां में सहायक अध्यापक हैं। उनका जन्म बतौर लडक़ी हुआ मगर, हावभाव व रहन-सहन पुरुषों की तरह था। दो वर्ष पहले उन्होंने जेंडर चेंज कराने की इच्छा जताई तो चिकित्सकों ने उपचार शुरू किया। आरंभ में दवाएं दी जाती रहीं, बाद में आपरेशन हुए। जनवरी में अंतिम आपरेशन के बाद उन्हें पुरुष होने का प्रमाणपत्र मिल गया। उनके चेहरे पर सामान्य पुरुषों की तरह दाढ़ी-मूंछ आ चुकी है, आवाज भी मर्दानी हो गई। समाज ने उन्हें पुरुष के रूप में स्वीकार करने के साथ सम्मान भी देना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि मित्र सविता ने हर मुश्किल वक्त में साथ दिया। दिव्यांग होने के कारण पढ़ाई के दौरान कई चुनौतियां आती थीं, सविता मददगार बनी रहीं। जेंडर चेंज कराने से पहले भी उनसे सलाह ली थी।

मिल गया मेल का सर्टीफिकेट

जनवरी में पुरुष प्रमाणपत्र मिलने के बाद तय कर लिया था कि विवाह करेंगे। अब नवंबर में विवाह कर गृहस्थ जीवन जीने का संकल्प लिया है। शरद रोशन ङ्क्षसह के प्रपितामह रोशन ङ्क्षसह उन बड़े क्रांतिकारियों में शामिल थे जिन्होंने 9 अगस्त, 1925 की रात लखनऊ के निकट काकोरी के पास ट्रेन में ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूट लिया था। अंग्रेज सरकार को हिला देने वाली इस घटना में चंद्रशेखर आजाद तो पुलिस के हाथ नहीं लगे, लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी के साथ रोशन ङ्क्षसह को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में फांसी दे दी गई थी।

खुद को लडक़ा महसूस करती थीं

सरिता का कहना है कि वह अंदर से खुद को लडक़ा महसूस करती थीं और बचपन से ही वह जेंडर बदलने का सपना देखती थीं. सरिता शाहजहांपुर जिले के खुदागंज ब्लॉक के नवादा दरोबस्त की रहने वाली हैं. शरद बनने के लिए सरिता को परिवार के स्तर पर भी लड़ाई लडऩी पड़ी. उनके भाई तो मन गए लेकिन मां को मनाने में समय लगा. परिवार की रजामंदी के बाद अगली चुनौती मेडिकल से जुड़ी थी, हालांकि डॉक्टरों की जांच के दौरान पता चला कि उनमें मेल हॉर्मोन बहुत ज्यादा हैं. उसी आधार पर हारमोन की थेरेपी की गई. इस पूरी प्रक्रिया में ढाई साल का वक्त लगा. थेरेपी पूरी होते-होते शरद की पुरुषों की तरह दाढ़ी-मूंछ आनी भी शुरू हो गई. इसके अलावा शारीरिक बनावट भी पुरुषों की तरह हो गई.

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UP Ka Agenda
Author: UP Ka Agenda

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