- CIC नियुक्त करने पर अधीर रंजन नाराज़
- राष्ट्रपति को पत्र लिखकर जताई नाराजगी
- पत्र में लिखा अत्यंत दुख और भारी मन से संज्ञान में लाना चाहता हूँ
दिल्ली : सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया ने 6 नवंबर को केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के प्रमुख के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 63 वर्षीय सामरिया को राष्ट्रपति भवन में एक समारोह के दौरान मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में शपथ दिलाई थी। अब इस नियुक्ति पर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। पीएम की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति में विपक्ष के सदस्य एवं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर नाराजगी जताई है।
भारी मन से मैं लिख रहा…
अधीर रंजन चौधरी ने पत्र में लिखा, ‘अत्यंत दुख और भारी मन से मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि केंद्रीय सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के चयन के मामले में सभी लोकतांत्रिक मानदंडों, रीति-रिवाजों और प्रक्रियाओं को ताक पर रख दिया गया।’ उन्होंने कहा कि गवर्मेंट ने चयन के बारे में न तो उनसे सलाह ली और न ही उन्हें जानकारी दी।
यह है नियम
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अनुसार, CIC और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पीएम की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिश पर की जाती है और इसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं।
क्या है कारण
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के अधिकारियों ने पिछले महीने अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में उनके कार्यालय से संपर्क कर समिति की बैठक के लिए उनकी उपलब्धता मांगी थी। उनके कार्यालय ने उन्हें सूचित किया कि वह 2 नवंबर 2023 तक दिल्ली में उपलब्ध हैं और उन्हें 3 नवंबर को पूर्व निर्धारित बैठक में भाग लेने के लिए पश्चिम बंगाल जाना है।
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